لَا يَرۡقُبُونَ فِي مُؤۡمِنٍ إِلّٗا وَلَا ذِمَّةٗۚ وَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡمُعۡتَدُونَ ١٠
10. वह किसी ईमान वाले के बारे में किसी संधि और वचन का पालन नहीं करते और वही उल्लंघनकारी हैं।