الترجمة الهندية - العمري- المجمع

صفحة 188

كَيۡفَ يَكُونُ لِلۡمُشۡرِكِينَ عَهۡدٌ عِندَ ٱللَّهِ وَعِندَ رَسُولِهِۦٓ إِلَّا ٱلَّذِينَ عَٰهَدتُّمۡ عِندَ ٱلۡمَسۡجِدِ ٱلۡحَرَامِۖ فَمَا ٱسۡتَقَٰمُواْ لَكُمۡ فَٱسۡتَقِيمُواْ لَهُمۡۚ إِنَّ ٱللَّهَ يُحِبُّ ٱلۡمُتَّقِينَ ٧

7. इन मुश्रिकों (मिश्रणवादियों) की कोई संधि अल्लाह और उसके रसूल के पास कैसे हो सकती है? उनके सिवाय जिनसे तुमने सम्मानित मस्जिद (काबा) के पास संधि[735] की थी। तो जब तक वे तुम्हारे लिए सीधे रहें, तो तुम भी उनके लिए सीधे रहो। वास्तव में, अल्लाह आज्ञाकारियों से प्रेम करता है।