الترجمة الهندية - العمري- المجمع

صفحة 189

مَا كَانَ لِلۡمُشۡرِكِينَ أَن يَعۡمُرُواْ مَسَٰجِدَ ٱللَّهِ شَٰهِدِينَ عَلَىٰٓ أَنفُسِهِم بِٱلۡكُفۡرِۚ أُوْلَـٰٓئِكَ حَبِطَتۡ أَعۡمَٰلُهُمۡ وَفِي ٱلنَّارِ هُمۡ خَٰلِدُونَ ١٧

17. मुश्रिकों (मिश्रणवादियों) के लिए योग्य नहीं है कि वे अल्लाह की मस्जिदों को आबाद करें, जबकि वे स्वयं अपने विरुध कुफ़्र (अधर्म) के साक्षी हैं। इन्हींके कर्म व्यर्थ हो गये और नरक में यही सदावासी होंगे।