الترجمة الهندية - العمري- المجمع

صفحة 188

كَيۡفَ وَإِن يَظۡهَرُواْ عَلَيۡكُمۡ لَا يَرۡقُبُواْ فِيكُمۡ إِلّٗا وَلَا ذِمَّةٗۚ يُرۡضُونَكُم بِأَفۡوَٰهِهِمۡ وَتَأۡبَىٰ قُلُوبُهُمۡ وَأَكۡثَرُهُمۡ فَٰسِقُونَ ٨

8. और उनकी संधि कैसे रह सकती है, जबकि वे यदि तुमपर अधिकार पा जायें, तो किसी संधि और किसी वचन का पालन नहीं करेंगे। वे तुम्हें अपने मुखों से प्रसन्न करते हैं, जबकि उनके दिल इन्कार करते हैं और उनमें अधिकांश वचनभंगी हैं।